श्री राम जय राम जय जय राम
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम् श्रीराम राम भरताग्रज राम राम |
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम् श्रीराम राम शरनं भव राम राम ||
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे |
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ||
श्री हनुमते नमः
प्रकाशकीय
हमारे धर्मग्रन्थों में श्रुतियों-स्मृतियों तथा संहिताओं का स्थान वेदों के पश्चात सर्वोपरि रहता आया है | वैदिक ऋचाओं में स्थान-स्थान पर “हनुमत शक्ति” का विवेचन सूक्ष्म रूप से प्राप्त होता है | वहीं ब्रह्म झान के अक्षय कोश स्वरूप महर्षियों ने स्मृतियों के अंतर्गत अपनी संहितायें भी प्रतिपादित की |
प्रमुख महर्षियों की संहिताओं में महर्षि वेदव्यास के पिता महर्षि पराशर की “पराशर संहिता” अत्यंत प्राचीनतम तथा श्री हनुमान जी के संपूर्ण सर्वप्रामानिक ग्रंथ मानी जाती है | कलियुग के प्रथम चरण के तृतीय पाद के दूसरे चरण तक इस संहिता की अलभ्यता की हनुमत आंकाक्षा का संदर्भ भी अनुक्षुत रहा है | अब विगत कुछ वर्षों से देश विदेश में निरंतर शोधों तथा भाषआनुसंधानों और अनुवाद संकल्पों की सतत चेष्टाओं के चलते ‘पराशर संहिता’ अर्थात संपूर्ण हनुमत विवेचन ग्रंथ का संस्कृत में अनुवाद प्रकशित हो सका |
कलियुग हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण और सर्व उपयोगी घोषित (स्वयं महर्षि पराशर द्वारा) इस ‘पराशर संहिता’ का हिंन्दी अनुवाद भक्तों हेतु प्रकाशित कराने का मनोरथ भक्तुआंकाक्षाओं और हनुमत क्रुपा से पूर्ण होने पर जे.बी. चैरिटेबल ट्रस्ट हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त करता है | हम अनुग्रहीत हैं श्री धनींद्र झा के जिह्नोंने अपने द्रुढ संकल्प तथा अथक परिश्रम की समर्पण सेवा से इस महानतम हनुमत ग्रंथ को हिंन्दी भाषा में अनुवादित करने के दायित्व को सफलतापूर्वक संपन्न करने में संस्था को सहयोग देकर कृतकृत्य किया है | अपने कृपालु भक्तों तथा सुधी पाठकों हेतु इसका प्रकाशन कर विनयवत मुद्रा में श्री हनुमत जी के श्री चरणों में इसे अर्पित करते अत्य्ंत प्रसन्नता है |
हनुमत कृपा की आशीर्वाद वर्षा सभी भक्तों पर हो | मैं इन की सत्कृपा के प्रति सहृदय आभार प्रकट करता हूं, वही और हम सभी के इष्ट हनुमान जी से प्रार्थना करता हूं कि आप इन पर अपनी कृपादृष्टि यूं ही बनाये रखें | इनके समस्त मनोरथ सफल करें | संस्कृत भाषा के इन सभी का हनुमत सेवा भाव स्तुत्य ही है |
सुनील गोम्बर
संस्थापक एवं प्रबंधक ट्रस्टी
पुस्तक प्राप्ति का स्थानः
जे. बी. चैरिटेबल ट्र्स्ट (पंजी.)
(जय बजरंग चैरिटेबल ट्र्स्ट)
‘बजरंग निकुंज’ 14/1192, इंदिरा नगर,
लखनऊ – 226 016. उ.प्र् (भारत)
दूरभाष : 0522 – 2711172, 9415011817
अथवा
इंटरनेशनल बुक ड़िस्ट्रिब्यूटिंग कं.,
खुश्नुमा कामप्लेक्स बेसमेंट, 7 मीराभाई मार्ग (जवहर भवन के पीछे)
लखनऊ – 226 001
दूरभाषः 0522-2209542, 43, 44, 45
फैक्सः 0522-4045308
ई-मेलः ibdco@airtelbroadband.in
आपका प्रयास बहुत सराहनीय है, ऎसे दुर्लभ ग्रंथ को प्राप्त करना और उसे हिन्दी में अनुवादित करना काफी मेहनत व समर्पण मांगता कार्य है जिसके लिये आप सभी लोग हार्दिक धन्यवाद के पात्र हैं।
एक बात मुझे इस ग्रंथ से पता चली है कि जो कार्य अगस्त्य मुनि कर पाये अर्जुन भीम ने किया वो हम नही कर पा रहे क्योंकि इस ग्रंथ में पासवर्ड लगा है।
क्या आपने वो पासवर्ड खोल लिया है या आप भी मेरी तरह अभी प्रयासों में लगे हुए हैं|
मुझे इस पुस्तक मे दिये ज्ञान पर जरा सी भी शंका नही है ये ज्ञान सत्य है पर हम लोग कब खोल पाते हैं बस उतना अंतर है।