श्री परशरसंहिता – श्री आंजनेयचरितम
श्री पराशरसंहिता – सोमदत्तचरित नीलकृतहनुमतस्त्रोत्रम् – चतुर्थपटलः
औं जय हो जय हो! श्री आंजनेय|
हे केसरी के प्रिय पुत्र! हे वायुकुमार|
हे देवपुत्र! हे पार्वती गर्भ से उत्पन्न|
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हे वानरों के नायक! हे समस्त वेद शास्त्र के ञाता|
हे संजीवनी पर्वत को उखाड़ने वाले|
हे लक्ष्मण के प्राणरक्षक| हे निषादराज को प्राण देने वाले|
हे सीता के दुःख़ को दूर करने वाले|
हे धान्यमाली के शाप को दूर करने वाले|
हे दूर्द्डी के बन्धन को मुक्त करने वाले|
हे नीलमेघ को राज देने वाले|
हे सुग्रीव को राज्यदिलाने वाले|
हे भीमसेन के अग्रज| हे अर्जुन के ध्वजवाहक|
हे कालनेमि के संहारक| हे मय रावन के संहारक|
हे वृत्रासुर भंजक| हे सप्तमंत्रि के पुत्रों के विनाश कारक|
हे अक्षयकुमार के संहारक| हे लंकिनी को मारने वाले|
हे रावण मानमर्दन| हे कुम्भकर्ण के वध हेतु उछत|
हे जंबूमालि मर्दन| हे बाली को रोकने वाले|
हे राक्षसकुल दाहक| हे अशोक वाटिका विदारक|
हे लंका दाहक| हे शतमुख वध के कारण|
हे सप्तसागर सेतु बन्धन कारक|
हे निराकार निर्गुन सगुण स्वरूप|
हे सुवर्ण पीताम्बरधारी| हे सुवर्चला के प्राणनाशक|
हे तेंतीस करोड इन्द्रग्णों के पोषक| हे भक्तपालन चतुर|
हे कनक कुण्डल धारण करने वाले|
हे रत्न किरीट हार मुकुट नुपुर से सुशोभित|
हे रामभक्ति तत्पर| हे स्वर्ण कदलीवन में विहार करने वाले|
हे वक्ष पर अंकित मेघ को ले जाने वाले|
हे नील मेघश्यम| हे सूक्ष्मशरीर वाले|
हे विशाल शरीर वाले| हे बालसूर्य को लीलने वाले|
हे ऋष्यमूकपर्वत के निवासी| हे मेरुपीठार्चक|
हे बत्तीस आयुध धारक| हे चित्रवर्ण|
हे विचित्र सृष्टि के निर्माणकर्ता|
हे अनन्तनाम| हे दशावतार|
हे अघटितघटना में समर्थ|
हे अनन्तब्रह्मा| हे नायक|
हे दुर्जन संहारक| हे सुजन रक्षक|
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हे सत्यसंकल्प| हे भक्तों के संकल्पपूरक|
हे अति सुकुमारशरीरवाले|
हे अकर्दम के विनोद का मर्दन करने वाले|
हे करोडों कामदेव के स्वरूप धारी|
हे युध्दविध्या प्रवीण| हे भूखों के पेट भरने वाले|
सौ करोड महामन्त्र तन्त्र स्वरूप, हे भूत प्रेत पिशाच डाकिनी शाकिनी संहारक|
हे शिवलिङग प्रतिष्ठापन के कारण|
हे दुष्कर्म से दूर करने वाले| हे दुर्भाग्य नाशक|
हे ज्यरदि सकल रोग के हरणकर्ता| हे भुक्ति मुक्तिदायक|
हे कपटनाटक के सुत्रधार| हे तालविनोद के झाता|
हे कल्याण परिपूर्ण| हे मंगल प्रदाता|
हे गान चञ्चल| हे गान प्रिय|
हे अष्टांगयोग निपुण| हे सकल विध्या पारंगत|
हे आदि-मध्य-अंत से रहित| हे यञकर्ता| हे यञभोक्ता|
हे षण्मत वैभव के अनिभूति कर्ता|
हे सभी लोकों के अतीत| हे विश्वंभर|
हे विश्वमूर्ति| हे विश्व के आकार|
हे दया स्वरूप| हे सेवकों के ह्रदयकमल में विचरण करने वाले|
हे मन की गति वाले| हे भाव के ञाता|
हे ऋषियों व्दारा गाने योग्य|
हे भक्त मनोरथ दायक| हे भक्तवत्सल|
हे दीन पोषक| हे दीनमंदार|
हे सर्वतन्त्र स्वतन्त्र| हे शरणागत रक्षक|
हे आर्त रक्षापरायन| हे असहायों के एकमात्र वीर|
हे हनुमान विजयी हों| दिग्विजयी हों| दिग्विजयी हों|
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