श्री परशरसंहिता – श्री आंजनेयचरितम
श्री पराशरसंहिता – काम्यसाधनम् – तृतीयपटलः – भाग – २
अपने पुत्र को आहत देखकर वायुदेवता ने कुपित होकर वायु संचार को रोक दिया, इससे संपूर्ण जगत मृतप्राय हो गया| तब ब्रह्मा, विष्णु सहित स्वर्गाधिप इन्द्राद्रि देवताओं ने जाकर हजारों वरदान दिया, यह वही वायुनन्दन हैं| महावीर सभी कामनाओं से परिपूर्ण हैं अतः अमावास्या को अंजनीनन्दन की पूजा करके| विजयी संसार के स्वामी के फल-पुष्प उपाहरादि से पूजित करके 108 बार जप करके घी से बारह आहुति करें| गुरु की यत्नपूर्वक पूजा करके गुरु-दक्षिणा देकर मन्त्र की सिद्दि को प्राप्त करता है| यहां औचित्यि का विचार नहीं करना चाहिए|