36th Chapter (Şaţrinśatpaţalah) “The Story of the Mantra for Stalling the Rousing of the Desire” (Madanakşōbhā Nivāraka Mantra Kathanam) श्रीपराशर: श्लोक: मन्त्रांतरं प्रवक्ष्यामि मैत्रेय त्रूणु…
Jaya Hanumanji | జయహనుమాన్ జీ
35th Chapter (Pańcatrinśatpaţalah) “The Story of the History of Mainda” (Maindacaritrakathanam) श्रीमैत्रये :- श्लोक: आव्म्जनेयचतुर्विंशत्यक्षरी मुनिसत्तम! अष्टादशाक्षरी चेति माहात्म्यमुभयोर्वद।। 1 Sage Mytrēya: “Oh! Sage Parāśara!…
34th Chapter (Catustrinśatpaţalah) “The Story of theHistory of Sumukha” (Sumukhacaritrakathanam) श्रीमैत्रये :- श्लोक: पराशर नमस्ते स्तु भगवन्करुणाकर ! सप्ताक्षरीप्रभावं मे कथय त्वं हनूमत:।। 1 Sage…
33rd Chapter (Trayastrinśatpaţalah) “Killing of Raktarōma” (Raktarōmavadha) श्री मैत्रेय: अथागतयाव्म्जनासूनु: नागकन्या किमुक्तवान् प्रतिाातंच किमिति तदाचक्ष्व कृपानिधे! 1 Sage Mytrēya: “Oh! Kind Personality! Sage Parāśara! Then…
32nd Chapter (Dwātrimśatpaţalah) “The Story of the Nāga Maiden” (Nāgakanyāvŗttānta Kathanamm) श्री मैत्रेय: श्लोक।। पराशर महाभाग हन्मच्चरितं शुभम् अन्यद्वदस्य पापघ्नं श्रोतुमिच्छामि सुव्रत! 1 Sage Mytrēya:…
31st Chapter (Ēkatrimśatitama Paţalah) “Killing of Triśūlarōma” (Triśūlarōmavadha) श्रीमैत्रये :- श्लोक:।। विघ्नशांतिमभिप्रीत्या मारुतिर्लोकरक्षण: अकरोंत्किं वद स्वामिन् यद्यस्ति मयि ते दया।। 1 Sage Mytrēya: “Oh! Great…
30th Chapter (Trinśattama Paţalah) “The Wait for Killing of Triśūlarōma” (Triśūlarōmavadha Pratīkşanamm) श्रीमैत्रये :- श्लोक:। प्रयाते ब्रह्मतनये नारदे मुनिसत्तम! पम्पातीरे कपीन्द्रेण किं कृतं वद सुब्रत!…
29th Chapter (Ākōnatrinśattamah Paţalah) “The Promise to the Gods” (Dēvāśvāsanamm) श्रीमैत्रये : श्लोक: पराशर नमस्तुभ्यं जगदानन्दहेतवे सेतवे सर्वधर्माणां सिंघवे करुणांबुनाम्।। 1 Sri Mytrēya: “Oh! Sage…
28th Chapter (Aşţavimśatitamah Paţalah) “The Dialogue between Nārada and Hanumān” (Nāradahanumatsamvādamm) श्रीमैत्रये : ब्रह्मन्! पम्पां समासाद्य कपिनाथानुयायिन: भर्तृराज्ञावच: श्रुत्वा किमकुर्वत तद्वद।। 1 Sri Mytrēya: “Oh!…
27th Chapter (Saptavimśatitamah Paţalah) “Description of the Lake Pampā” (Pampāsarōvarnņnamm) श्रीमैत्रये : श्लोक: स्वामिन्नत्र कृतार्थो हं पराशर जगद्गुरो तवसन्दर्शनांन्नूनं जगत्कालत्रये पि वा।। 1 Seer Mytrēya:…